Skip to content

श्री राम स्तुति: श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन-Shri Ram Stuti

    श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा, श्री हनुमान जन्मोत्सव और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से वाचन किया जाने वाली वंदना।

    श्री राम स्तुति: श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन – Shri Ram Stuti Lyrics

    ॥दोहा॥

    श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन

    हरण भवभय दारुणं ।

    नव कंज लोचन कंज मुख

    कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

     

    कन्दर्प अगणित अमित छवि

    नव नील नीरद सुन्दरं ।

    पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि

    नोमि जनक सुतावरं ॥२॥

     

    भजु दीनबन्धु दिनेश दानव

    दैत्य वंश निकन्दनं ।

    रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल

    चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥

     

    शिर मुकुट कुंडल तिलक

    चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।

    आजानु भुज शर चाप धर

    संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥

     

    इति वदति तुलसीदास शंकर

    शेष मुनि मन रंजनं ।

    मम् हृदय कंज निवास कुरु

    कामादि खलदल गंजनं ॥५॥

     

    मन जाहि राच्यो मिलहि सो

    वर सहज सुन्दर सांवरो ।

    करुणा निधान सुजान शील

    स्नेह जानत रावरो ॥६॥

     

    एहि भांति गौरी असीस सुन सिय

    सहित हिय हरषित अली।

    तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि

    मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥

     

    ॥सोरठा॥

    जानी गौरी अनुकूल सिय

    हिय हरषु न जाइ कहि ।

    मंजुल मंगल मूल वाम

     

    अङ्ग फरकन लगे।

    रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *