Kabhi Pyase Ko Paani Pilaya Nahi Lyrics In Hindi
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलानेसे क्या फायदा
कभी गिरते हुयेको उठाया नहीं, बाद आंसू बहानेसे क्या फायदा ॥ध्रु॥
मैं तो मंदीर गया पूजा आरती की, पुजा करते हुवे ये खयाल आ गया
माता पिता की सेवा की ही नहीं
सिर्फ पुजा ही करनेसे क्या फायदा ॥१॥
मैं गंगा नहाने हरिद्वार काशी गया, गंगा नहाते हुवे ये ख्याल आ गया
तनको धोया मगर मनको धोया नहीं
सिर्फ गंगा नहानेसे क्या फायदा ॥२॥
मैंने दान किया मैंने जप तप किया, दान करते हुवे ये खयाल आ गया
कभी भूखेको भोजन खिलाया नहीं
दान लाखोंका करनेसे क्या फायदा ॥३॥
मैंने गीता रामायण महाभारत पढी, गीता पढते हुवे ये खयाल आ गया
मैंने गीता का सार समझा ही नहीं
सिर्फ गिता को पढनेसे क्या फायदा ॥ ४॥